13वीं मंज़िल का रहस्य – Horror Story in Hindi
सुरेश अब तक जान चुका था कि वो एक ऐसे फ्लैट में रह रहा है जहाँ कुछ बहुत ही अजीब और खौफनाक हो रहा है। लेकिन उसकी जिज्ञासा डर से कहीं ज़्यादा थी। उसने तय किया कि अब वो पीछे नहीं हटेगा।
परछाइयों की दुनिया
तीसरी रात, जैसे ही घड़ी 1:45 AM हुई, कमरे का तापमान अचानक गिरने लगा। हवा नहीं चल रही थी लेकिन पर्दे अपने आप हिल रहे थे। तभी सुरेश ने देखा—बालकनी के शीशे में कोई खड़ा है… सिर्फ परछाई, चेहरा नहीं दिख रहा था। उसने तुरंत पीछे मुड़कर देखा—but वहां कोई नहीं था।
पर ये सिर्फ शुरुआत थी। अब हर रात कुछ नया होता—कभी TV अपने आप ऑन हो जाता, कभी किसी की सांसों की आवाज़ सुनाई देती, तो कभी दीवार पर कुछ अजीब शब्द खुद-ब-खुद उभर आते।
अतीत की परतें खुलती हैं
सुरेश ने गगनदीप अपार्टमेंट के एक पुराने चौकीदार से बात की। बूढ़े चौकीदार ने कांपती आवाज़ में बताया, "सालों पहले एक लड़का इसी फ्लैट में रहता था, नाम था अर्जुन। उसने खुद को उसी बालकनी से गिराकर जान दे दी थी। कहा जाता है, उसकी आत्मा आज भी अपने साथ इंसाफ़ की तलाश में भटक रही है।"
ये सुनते ही सुरेश का मन विचलित हो गया। अब वो सिर्फ डर नहीं रहा था—वो सच जानना चाहता था। उसके दिमाग में सवाल घूमने लगे:
- अर्जुन ने आत्महत्या क्यों की?
- क्या किसी ने उसे मजबूर किया?
- और अब उसकी आत्मा क्या चाहती है?
डर अब और गहराता है
एक रात सुरेश को सपने में अर्जुन दिखा। वो धीरे-धीरे कह रहा था, "मुझे इंसाफ़ चाहिए… मैं यहां फँसा हूँ… मेरी बात सुनो।"
सुबह जब सुरेश उठा, तो उसकी मेज़ पर एक पुराना नोटपैड पड़ा था, जो उसने कभी खरीदा ही नहीं था। उसमें लिखा था:
"13वीं मंज़िल पर सब कुछ वैसा नहीं है जैसा दिखता है..."
अब ये सिर्फ डर की कहानी नहीं रह गई थी—ये एक psychological horror बन चुका था। सुरेश को अब आगे बढ़ना ही था।
क्या सुरेश अर्जुन की आत्मा से संपर्क कर पाएगा? क्या वो उस अधूरे सच को सामने ला सकेगा जो 13वीं मंज़िल पर दफ्न है?
Stay tuned for Part 3 of this Hindi Horror Story – जहां रहस्य और भी गहरा होगा।