शहर के सबसे शांत और पॉश इलाकों में स्थित था "गगनदीप अपार्टमेंट" – 14 मंज़िलों वाला एक शानदार रिहायशी टावर। लेकिन हैरानी की बात ये थी कि वहाँ की 13वीं मंज़िल पर सालों से कोई नहीं रहता था। लोग कहते थे कि उस फ्लोर पर कुछ अजीब घटता है—बत्ती खुद-ब-खुद जल जाती है, दरवाजे अपने आप खुलते-बंद होते हैं और रात के समय किसी के चलने की आवाज़ें आती हैं।
सुरेश, जो हाल ही में शहर में नौकरी के सिलसिले में आया था, एक सस्ता और शांत रूम ढूंढ रहा था। एक दिन उसे एक प्रॉपर्टी डीलर ने बताया कि गगनदीप अपार्टमेंट में एक फ्लैट खाली है—13वीं मंज़िल पर। किराया भी कम था और फ्लैट पूरी तरह फर्निश्ड था। सुरेश को यह ऑफर एकदम फिट लगा। उसने ज्यादा सोचे बिना हां कह दिया।
Top Horror Story in Hindi जैसी कहानियों में अक्सर जो डर आपको किताबों में मिलता है, सुरेश उसे असल ज़िंदगी में महसूस करने वाला था।
रहस्यमयी शुरुआत
शिफ्टिंग के दिन, बिल्डिंग के गार्ड ने सुरेश को थोड़ा चौंकाते हुए कहा – "साहब, 13वीं मंज़िल पर कोई नहीं जाता... बहुत पुराना मामला है। आप रहने वाले पहले इंसान होंगे सालों बाद।"
सुरेश ने हँसते हुए बात टाल दी – "भाईसाहब, भूत-प्रेत की कहानियां अब असर नहीं करतीं। ये नया युग है!"
लेकिन जैसे ही उसने पहली रात उस फ्लैट में बिताई, सब बदल गया।
अजीब घटनाएँ शुरू
रात के 2 बजे अचानक एक ज़ोरदार दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ आई। सुरेश हड़बड़ा कर उठा। देखा तो घर के सभी दरवाज़े बंद थे। लाइट ऑन की, तो एक कोना हल्की सी ब्लू लाइट में चमक रहा था। वहाँ कोई नहीं था... लेकिन दीवार पर एक हाथ की छाप थी—गीली और ताज़ा।
अगली रात फिर कुछ अजीब हुआ—सुरेश का लैपटॉप अपने आप ऑन हुआ और स्क्रीन पर एक पुरानी तस्वीर उभर आई। तस्वीर में वही फ्लैट था, लेकिन उसमें एक और आदमी दिख रहा था—अजनबी चेहरा, जो सुरेश ने कभी नहीं देखा था।
धीरे-धीरे खुलता रहस्य
सुरेश ने अब उस फ्लैट के बारे में रिसर्च करना शुरू किया। उसे लोकल लाइब्रेरी से पता चला कि 13वीं मंज़िल पर एक बार एक युवक की रहस्यमयी मौत हुई थी। उसकी लाश तीन दिन बाद मिली थी, और मौत का कारण आज तक कोई नहीं जान सका।
अब सुरेश को समझ आने लगा कि जिस फ्लैट को वो सस्ता सौदा समझ रहा था, उसमें शायद कोई और भी रहता है... जो दिखता नहीं, लेकिन मौजूद है।